शराबी २
एक ही विषय पर 6
महान शायरों का नजरिया....
जरूर पढें
1- Mirza Ghalib :
"शराब पीने दे मस्जिद
में बैठ कर,
या वो जगह बता जहाँ ख़ुदा नहीं।"
2- Iqbal
"मस्जिद ख़ुदा का घर
है, पीने की जगह नहीं ,
काफिर के दिल में जा, वहाँ ख़ुदा नहीं।"
3- Ahmad Faraz
"काफिर के दिल से आया
हूँ मैं ये देख कर, खुदा
मौजूद है वहाँ, पर
उसे पता नहीं।"
4- Wasi
"खुदा तो मौजूद दुनिया
में हर जगह है,
तू जन्नत में जा वहाँ पीना मना
नहीं।"
5- Saqi
"पीता
हूँ ग़म-ए-दुनिया भुलाने के लिए,
जन्नत
में कौन सा ग़म है इसलिए वहाँ पीने में मजा नही।"
----------------------------------------
बहू अगर नींबू खा रही
हो तो जरूरी नहीं कि कोई खुशखबरी हो।
जमाना बदल गया है…
हो सकता है वो रात की
उतार रही हो।
----------------------------------------------
शराब के उस बार के
सामने एक छोटा सा तालाब था।
झमाझम बारिश हो रही
थी और
उस बारिश में पूरा भीगा हुआ एक बुजुर्ग
आदमी एक छड़ी पकड़े था
जिससे बँधा धागा तालाब के पानी में डूबा
हुआ था।
एक राहगीर ने उससे
पूछा: “क्या कर रहे हो बाबा ?”
बुजुर्ग: “मछली पकड़ रहा हूँ।”
राहगीर बारिश में
भीगे उस बुजुर्ग को देख बहुत दुखी हुआ, बोला:
“बाबा, मैं बार में व्हिस्की पीने जा रहा हूँ।
आओ तुम्हें भी एक पैग पिलाता हूँ।
ऐंसे तो तुम्हे सर्दी लग जायेगी। आओ
अंदर चलें। ”
बार के गर्म माहौल
में बुजुर्ग के साथ व्हिस्की पीते महाशय ने बुजुर्ग से पूछा:
“हाँ तो, बाबा, आज कितनी मछलियाँ फसीं ?”
बुजुर्ग बोला”
तुम आठवीं मछली हो, बेटा! “