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S M S छाप शायरी २



इधर खुदा है, उधर खुदा है,
जिधर देखो उधर खुदा है,
इधर-उधर बस खुदा ही खुदा है,
जिधर नही खुदा है, उधर कल खुदेगा
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तुमसा कोई दूसरा ज़मीं पर हुआ,
तो रब से शिकायत होगी,
एक तो झेला नही जाता,
दूसरा आ गया तो क्या हालत होगी
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दुरख्त के पैमानें पर चिल्मन-ए-हुस्न का फ़ुरकत से शरमाना,
दुरख्त के पैमानें पर चिल्मन-ए-हुस्न का फ़ुरकत से शरमाना,
ये 'लाईन' समझ में आये तो मुझे ज़रूर बताना
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तेरे घर पे सनम हज़ार बार आयेंगे,
तेरे घर पे सनम हज़ार बार आयेंगे,
घंटी बजायेंगे और भाग जायेंगे,
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क्यों अपनी कब्र खुद ही खोद रहा है ग़ालिब,
क्यों अपनी कब्र खुद ही खोद रहा है ग़ालिब,
ला, फवड़ा मुझे दे

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